पुरानी यादों की गलिओं में
टहलना हमने बंध कर दिया है
जाने वो कौनसा लम्हा था जो
अब भी उन्ही गालियों में रहता है?
वो गालियाँ जो रंजिशों के मोहल्ले से गुज़र कर
बेबसी के कूचे तक जा पोहचती है.
वो तंग सी गलियां जहाँ अधूरी कहानियाँ
अब भी मजबूरियों की महफिले सजाती है।
पुरानी यादों की गलिओं में
टहलना हमने बंध कर दिया है।
वो गलियां, जो आँसुओं की पियालिओं से
अब भी हमारा स्वागत करती है
वो गलियां जिन में अब भी
कितनी दुआएं उनकाही, अनसुनी बस्ती है।
टहलना हमने बंध कर दिया है
जाने वो कौनसा लम्हा था जो
अब भी उन्ही गालियों में रहता है?
वो गालियाँ जो रंजिशों के मोहल्ले से गुज़र कर
बेबसी के कूचे तक जा पोहचती है.
वो तंग सी गलियां जहाँ अधूरी कहानियाँ
अब भी मजबूरियों की महफिले सजाती है।
पुरानी यादों की गलिओं में
टहलना हमने बंध कर दिया है।
वो गलियां, जो आँसुओं की पियालिओं से
अब भी हमारा स्वागत करती है
वो गलियां जिन में अब भी
कितनी दुआएं उनकाही, अनसुनी बस्ती है।
Purani yaadon ki galion mein
Tehelna humne bandh kar diya hai.
Jaane woh kaunsa lamha hai jo
Ab bhi unhi galiyon mein rehta hai?
Woh galiyan jo ranjisho ke mohhale se guzar kar
Bebasi ke kuche tak ja pohochti hai.
Woh tang si galiyan jahan adhuri kahaniya
Ab bhi majbooriyon ki mehfilen sajati hai.
Purani yaadon ki galion mein
Tehelna humne bandh kar diya hai.
Woh galiyan, jo ansuoon ki pyaliyon se
Ab bhi humara swagat karti hai
Woh galiyan jin mein ab bhi
Kitni duayen unkahi, unsuni basti hai..
सुंदर पंक्तियाँ हैं, मैंने आपके दवरा लिखे अन्य कई लेखों को पढ़ा सब में एक मर्म झलकता है।
ReplyDeletedhanyavaad Ravi Prakash ji meri kavitao ko padhne ke liye. jahan tak ek marm ki baat hai, mujhe nahi pata yeh marm hai ya kuch aur. bas itna janti hoon, jo mann mein aata hai unhe likheti chali jati hoon. age bhi aap meri kavitaon ko padhenge. ek baar phir ahanyavaad.
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