शांति तू कहाँ गयी?
मेरे खिलोनो सी टूट गयी।
या मेरी सहेलियोँ सी रूठ गयी ॥
मेरे सपनो सी खो गयी।
या हमेशा के लिए सो गयी ॥
तू उम्र की तरह ढल गयी ।
या मेरे अपनों को ही खल गयी ॥
तेरी आँस में मैंने पलके न झुकाई ।
ढूंढने में तुझे कई सादिया है बिताई ॥
अब तो मेरे दिल पे छाया यह है एक सवाल ।
तू है कोई सच्चाई या है बस एक खयाल ॥
Shanti tu kahan gayi?
Mere khilon si tut gayi
Ya meri saheliyon si ruth gayi
Mere sapno si kho gayi
Ya humesha ke liye so gayi
Tu umr ki tarah dhal gayi
Ya mere apno ko hi khal gayi
Teri aans mein maine palke na jhukai
Dhundne mein tujhe kai sadiya hai bitayi
Ab toh mere dil pe chhaya hai ek sawal
Tu hai koi sachhayi ya hai bas ek khayal
bahut khub... well said
ReplyDeletethanks @ShuklaBanik for your appreciation.
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